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आप जिस शिवलिंग की पूजा करते है वो किसका प्रतीक
है
शिवलिंग तीन भागों से मिलकर बना होता है, पहला भाग नीचे भूमिगत रहता है , मध्य भाग के चारो ओर समान सतह बनी होती है
अंतिम भाग शीर्ष भाग, जो आकार में अंडाकार होता है, इसी भाग की पूजा की जाती है
ये तीनो भाग ब्रह्मा ,विष्णु, महेश के प्रतीक चिन्ह माने जाते है, शिव के प्रतीक (शीर्ष भाग) पर जल चढ़ाया जाता है जो नीचे बने मार्ग से बहकर निकल जाता है
ऋषियों और मुनियों ने ब्रह्माण्ड के वैज्ञानिक रहस्यों को समझ कर इस सत्य का स्पष्टीकरण दिया है
मुख्यतः शिवलिंग दो प्रकार के बताये गए है
प्रथम
: आकाशीय या उल्का शिवलिंग,
द्वितीय
: पारद शिवलिंग |
यधपि पुराणों के अनुसार शिवलिंग छः प्रकार के होते है
देवलिंग :
देवताओं या प्राणियों द्वारा स्थापित शिवलिंग
असुरलिंग :
(रावण द्वरा स्थापित शिवलिंग) जिसकी असुरों द्वारा पूजा की जाती है
पुराणलिंग :
पौराणिक काल में स्थापित शिवलिंग
मनुष्यलिंग :
राजा महाराजाओं द्वारा पाचीन या मध्यकाल में स्थापित शिवलिंग
भगवान् शिव स्वयं अगर शिवलिंग के रूप में प्रकट होते है तो वह स्वयंभू लिंग कहे जाते है
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